About

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आज से 128 वर्ष पूर्व राय बहादुर दुर्गा प्रसाद जी द्वारा भगवान विश्वकर्मा जी के मंदिर स्थापना के बाद सभा का गठन किया किन्तु सभा का संविधान सन् 1918 में बनाया गया। क्योंकि पहले उन्होंने आर्टीजन एसोसिएशन बनायी थी, उनके सुपुत्र बाबू हितकारी लाल जी द्वारा, सन् 1935 में सभा का संविधान संशोधित किया गया।

ककुहास पांचाल ब्राहमण सभा संकल्पित है कि मन्दिर परिसर में भूतल सहित तीन बडें हाल तथा चैथी मन्जिल पर ‘विश्वकर्मा आश्रय’ के रूप में कमरों का निर्माण, ताकि भारतवर्ष के किसी भी कोने से आया हुआ विश्वकर्मा समाज का कोई भी व्यक्ति ’आश्रय‘ के लिए न भटके और इसका उपयो करते हुए गौरव का अनुभव करे तथा मन्दिर सभा के क्रिया-कलापों का अच्छा सन्देश सुदूर देश में जाये। लखनऊ रेलवे स्टेशन के निकट होने के कारण इसकी उपयोगिता व महत्व स्वतः बढ़ जाती है। इसके लिए जहाँ वर्तमान पीढ़ी के कन्धों पर पुरातन की पीढ़ी सौंपा हुआ दायित्व का भार है कि वह विरासत को अपेक्षित रूप से विकसित करते हुए भावी पीढ़ी को हस्तान्तरित करे।

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